Saturday, July 28, 2012

"उसके साथ रहकर"


उसके साथ रहकर मैंने जाना
कि विद्रोह करना अपराध नहीं है, 
पर विद्रोह न करना है ;
और गुलामी की परिस्थितियों में जीते रहना
आपका आदमी न होकर 
हीरामन तोता होना है |

उसके साथ रहकर मैंने जाना
कि 'क्रान्ति' महज़ किताबों में नहीं मिलती,
नहीं पूछे जा सकते 
औरतों से केवल घर-परिवार के ही सवाल |

उसके साथ रहकर 
पृथ्वी को पकड़कर घुमाया जा सकता था, 
आसमान दूर नहीं रह जाता था
और सागर बन जाते थे हमारी 
गोदौलिया वाली रोड के गड्ढे |

उसके साथ रहकर 
कितना आसान था ,
अपनी लाश को फेंक देना |

--(सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की एक कविता से प्रेरित)

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