.........इस उद्देश्यहीनता में छिपा हुआ उद्देश्य है कि वह उद्देश्य पुनः उद्देश्यहीनता है,बुझ जाने की मांग है........
.....अभिप्राय मैं नहीं जानता,तुम्हें जानता हूँ, और जानता हूँ कि जितने स्वप्न मैंने देखे हैं,सब तुममें आकर घुल जाते हैं.........("शेखर: एक जीवनी" से )
Monday, April 12, 2010
त्रिवेणीनुमा कुछ
कैमरे छिपे हुए हैं हर शहर हर गली, और जंगलों में आजकल रहते हैं नक्सली |
6 comments:
padhi gayi :)
खुलेआम मिले.........."
BEAUTIFULL
नक्सली कैमरे से कम खतरनाक साबित होंगे
भई मिलने-मिलाने के लिये अब टीवी के रियलिटी शो से बेहतर क्या जगह हो सकती है..पैसे भी पब्लिसिटी भी
hahaha...halke fulke tareeke se sanzida baat bhi kahi ...
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