यह यातना है
जिसके बारे में कुछ नहीं कहा जाना चाहिए
पर ये सच है कि
जब दुनिया देख रही है
काले स्याह अंधकार में रंगीन सपने
रात्रि के तीसरे पहर में
निद्राविहीन मैं
चाँद,तारों और चमगादड़ो का साथी बना हुआ हूँ
कुछ ख्वाबो को बुनता हूँ
फिर तोड़ता हूँ
टूटे ख्वाबो को
दोबारा जोड़ता हूँ
इस घोर तिमिर में
दीवारों से कुछ कुरेदता हूँ
दसो दिशाओं में
कोई आहट खोजता हूँ
तमाम विषमतायें
अनजान त्रासदियाँ
और सघन कुंठाओं से ग्रस्त
विस्तृत नभ के सुदूर कोने में
शांत घरोंदा ढूँढता हूँ
यह यातना है कि
रात्रि के तीसरे पहर में
मैं निद्राविहीन हूँ
::: :) DC (: :::
No comments:
Post a Comment