Tuesday, May 5, 2009

एक यातना

यह यातना है
जिसके बारे में कुछ नहीं कहा जाना चाहिए
पर ये सच है कि
जब दुनिया देख रही है
काले स्याह अंधकार में रंगीन सपने
रात्रि के तीसरे पहर में
निद्राविहीन मैं
चाँद,तारों और चमगादड़ो का साथी बना हुआ हूँ

कुछ ख्वाबो को बुनता हूँ
फिर तोड़ता हूँ
टूटे ख्वाबो को
दोबारा जोड़ता हूँ

इस घोर तिमिर में
दीवारों से कुछ कुरेदता हूँ
दसो दिशाओं में
कोई आहट खोजता हूँ

तमाम विषमतायें
अनजान त्रासदियाँ
और सघन कुंठाओं से ग्रस्त
विस्तृत नभ के सुदूर कोने में
शांत घरोंदा ढूँढता हूँ

यह यातना है कि
रात्रि के तीसरे पहर में
मैं निद्राविहीन हूँ

::: :) DC (: :::

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