तीसरा पहर गया था ,
बाद में शहर मर गया था |
बस्तियाँ उजड़ गयी थी ,
जिधर हवा का असर गया था |
कितना भी वह बचा ले ,
पैर आदमी पर गया था |
हाथ ऊपर को उठते थे ,
जाने खुदा किधर गया था |
एक से दूसरी पीढ़ी तक ,
मुसलसल ज़हर गया था |
देश हाथ मलता रहा ,
और मुलजिम घर गया था |
जुर्म की तलाश में ,
एक अरसा गुज़र गया था |
अच्छा होता ,वह सोचता है ,
यदि उस रात मर गया था |
...
......
1 comment:
bhai jabardast!!!!!!!!!!!!
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