Saturday, November 28, 2009

आग्रह

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गुजर चुकी हैं
कौशाम्बी और नालंदा की सभ्यताएं ,
बीत गया है
मौर्य और गुप्त वंशों का स्वर्ण-काल ,
और मिट गया है
आदिमयुगीन ताम्र-युग |

फिर घोर उद्योगवाद के दौर में
अयोध्या को पाषाण-युग में कैद कर
आपकी पथराई सोच
चाहती क्या है ?

कृपा करो अयोध्या पर !!
वह आजाद होना चाहती है
अतीत के बियाबान से |

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2 comments:

निर्मला कपिला said...

कृपा करो अयोध्या पर !!
वह आजाद होना चाहती है
अतीत के बियाबान से |
बहुत सुन्दर और सही रचना शुभकामनायें। अगर वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें तो कमेन्ट करने वालों को सुविधा रहती है।

डिम्पल मल्होत्रा said...

हमी सभ्यताओ की खोज करते है हमी फैंसले करते है किसे आज़ाद करना है और किसपे राज करना है...उत्कृष्ट रचना